जेसीबी एक रोमांचक मशीन है। हर व्यक्ति इसके द्वारा किए जाने वाले कार्य जैसे खुदाई करना, मलबा व भारी मशीनरी को उठाने, किसी ढांचे या निर्माण को गिराने, किसी वस्तु को गहराई से बाहर निकालने आदि देखने में रूचि लेता है। साथ ही यह जानना चाहता है कि जेसीबी मशीन अगर एक घंटे तक काम करती है तो कितना डीजल खर्च होता है यानी जेसीबी का एवरेज क्या है? आइए, इंफ्रा जंक्शन की इस पोस्ट में जेसीबी मशीन के एवरेज और मेंटेनेंस खर्च के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जेसीबी की पीले रंग मशीन को भारत के हर गांव, शहर व कस्बा में देखा जा सकता है। दमदार इंजन और मशीनरी से लैस यह शक्तिशाली मशीन उन जगहों पर काम करती नजर आती है जहां मानवीय श्रम व अन्य मशीनरी फेल हो जाती है। इस एक्सकैवेशन मशीन या अर्थ मूवर को नॉर्मली जेसीबी कहते है। हालांकि जेसीबी एक कंपनी का नाम है जो अर्थ मूवर मशीन, हैवी मशीनरी और गैजेट्स के निर्माण में संलग्न है। एक्सकेवेशन मशीन के हर जगह इस्तेमाल होने के वजह से लोग इसे जेसीबी के नाम से ही जानने लगे हैं।
जेसीबी एक भारी और दमदार मशीन है और इनका उपयोग भारी कार्यों के समाधान में किया जाता है। जेसीबी की मशीनों का माइलेज को किलोमीटर के आधार पर मापा नहीं जा सकता है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि ये मशीनें दूरियां तय करने के लिए नहीं बनाई गई है। ऐसे में इनका माइलेज प्रति घंटे के हिसाब से मापा जाता है। जेसीबी एक घंटे में 5 से 7 लीटर डीजल खर्च करती है। लोड बढ़ने पर डीजल का खर्च 10 लीटर तक पहुंच जाता है।
जेसीबी कंपनी की हल्की से हल्की मशीन की कीमत ही 18 लाख रुपए से शुरू होती है। महंगी मशीनों की कीमत करोड़ों रुपए तक पहुंच जाती है। जेसीबी एक्सकैवेशन मशीन की कीमत 26 लाख रुपए से शुरू होकर 47 लाख रुपए तक है। ऐसे में इसकी मेंटनेंस कॉस्ट भी ज्यादा होती है। इन मशीनों का उपयोगी ऐसे कामों में किया जाता है जहां टूट-फूट की ज्यादा संभावना होती है। सामान्यत: देखा जाए तो जेसीबी हर महीने करीब 10 से 12 हजार रुपए का मेंटनेंस खर्चा मांगती है।
जेसीबी की अलग-अलग मशीनों की पावर उसके साइज के हिसाब से होती है। ये मशीनें 50 एचपी से 250 एचपी में उपलब्ध है। हालांकि इसके इंजन की कैपेसिटी सामान्य रूप से 3.0 लीटर से लेकर 6.0 लीटर तक होती है।
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