उत्तर प्रदेश की धरती पर गंगा एक्सप्रेसवे के रूप में विकास की एक नई कहानी लिखी जा रही है। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है, जो मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर की लंबाई में फैला है। लगभग 36,230 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन यह छह लेन का एक्सप्रेसवे 12 जिलों और 518 गांवों को जोड़ेगा, जिससे यात्रा का समय घटेगा और राज्य में औद्योगिक, व्यावसायिक व पर्यटन गतिविधियों को नई गति मिलेगी। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण अब अपने अंतिम चरण में है। करीब 80% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और उम्मीद है कि इसका संचालन जुलाई 2025 से शुरू हो जाएगा।
गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दादू गांव तक पहुंचेगा। यह मार्ग मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़ जैसे 12 जिलों को जोड़ते हुए 518 गांवों को सीधे लाभान्वित करेगा। यह 594 किलोमीटर लंबा 6-लेन एक्सप्रेसवे, जिसे भविष्य में 8-लेन तक विस्तारित किया जा सकता है।द्
गंगा एक्सप्रेसवे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकेंगे, जिससे दिल्ली से प्रयागराज तक का सफर मात्र 6 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। इससे न केवल रेल पर यात्री भार घटेगा, बल्कि उद्योग, व्यापार और पर्यटन को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
इस एक्सप्रेसवे में 28 फ्लाईओवर, 381 अंडरपास, 126 छोटे पुल, साढ़े 3 किमी लंबी इमरजेंसी हवाई पट्टी (शाहजहांपुर), 9 जन सुविधा परिसर, मुख्य टोल प्लाजा (मेरठ व प्रयागराज में) और 15 रैंप टोल प्लाजा शामिल है। इन सुविधाओं के जरिए यह एक्सप्रेसवे सुरक्षित, सुगम और स्मार्ट यात्रा का प्रतीक बनने जा रहा है।
गंगा एक्सप्रेसवे का 464 किलोमीटर का कंस्ट्रक्शन कार्य अदाणी समूह के जिम्मे है, जिसे तीन हिस्सों में बांटा गया है : बदायूं से हरदोई (151.7 किमी), हरदोई से उन्नाव (155.7 किमी) और उन्नाव से प्रयागराज (157 किमी)। यह प्रोजेक्ट DBFOT मॉडल (Design-Build-Finance-Operate-Transfer) पर आधारित है और इसकी रियायत अवधि 30 वर्ष तय की गई है।
यूपीईडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के अनुसार इस एक्सप्रेसवे में अर्थ वर्क 99%, ग्रेन्यूलर सब-बेस (GSB) 85% तथा डेंस बिटुमिनस मैकाडम (DBM) 82% पूर्ण हो चुका है। गंगा एक्सप्रेसवे की अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके निर्माण के लिए लगभग 7467 हेक्टेयर जमीन का उपयोग किया गया है।
गंगा एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर प्रदेश की सड़कों का चेहरा बदलने जा रहा है, बल्कि यह राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों, रोजगार के अवसरों, और लॉजिस्टिक नेटवर्क को भी नई ऊर्जा देगा। इसके किनारे खुलने वाले ढाबे, स्टॉल्स और सुविधाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएंगी।
कुल मिलाकर, गंगा एक्सप्रेसवे सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के भविष्य का हाईवे है जो आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, तेज गति और समावेशी विकास का प्रतीक बनकर उभरेगा।
Follow us for the Latest Infra Industry Updates
Facebook - https://www.facebook.com/infrajunction/
Instagram - https://www.instagram.com/infra_junction/
पिछला खबर
अगला खबर