भारत में सड़क और परिवहन बुनियादी ढांचे का विस्तार तेजी से हो रहा है और अब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर तय होने जा रहा है। राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से होकर गुजरने वाली इस एक्सप्रेसवे पर भारत की सबसे लंबी सुरंग का कंस्ट्रक्शन कार्य लगभग पूरा होने वाला है। यह सुरंग न केवल लंबाई में सबसे बड़ी है, बल्कि अपनी संरचना और तकनीकी दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
सुरंग का निर्माण पूरी तरह से पूरा होने के बाद, यह भारतीय बुनियादी ढांचे के एक नए युग की शुरुआत करेगा। इससे न केवल ट्रांसपोर्टेशन में सुधार होगा, बल्कि यह पर्यावरण की सुरक्षा और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और इसकी सुरंग परियोजना भारतीय परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को एक नई दिशा देगी, और देश के विकास में अपनी भूमिका निभाएगी।
यह सुरंग करीब 4.9 किलोमीटर लंबी है, जिसमें आठ लेन हैं। इस सुरंग को दो समानांतर ट्यूबों में बांटा गया है, जिनमें से प्रत्येक ट्यूब में चार लेन हैं। यह एक अत्याधुनिक तकनीकी पहल है, जो भारतीय बुनियादी ढांचे के विकास में एक नई दिशा दिखाती है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, चेचट से कोटा तक जाने वाली ट्यूब-2 के लिए केवल 60 मीटर की खुदाई बाकी रह गई है। अधिकारी ने बताया कि एक महीने के भीतर यह खुदाई पूरी हो जाएगी, और फिर सुरंग की चौड़ाई और ऊंचाई बढ़ाने के लिए कुछ हिस्सों में और खुदाई की जाएगी।
इस सुरंग का निर्माण विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इसमें 4.9 किलोमीटर में से 3.3 किलोमीटर हिस्सा भूमिगत है, जबकि बाकी का 1.6 किलोमीटर हिस्सा कट-एंड-कवर विधि का उपयोग करके बनाया गया है। इस परियोजना की पूरी योजना को इस तरह से तैयार किया गया है कि सुरंग के भीतर यात्रा करने वाले वाहन स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से चल सकें। मार्च 2025 तक सुरंग की चौड़ाई को 9 मीटर से बढ़ाकर 19 मीटर और इसकी ऊंचाई 8 मीटर से बढ़ाकर 11 मीटर कर दिया जाएगा। इस काम को पूरा करने के बाद, सड़क निर्माण, सुरक्षा उपाय, विद्युत प्रणाली और संचार सुविधाओं पर भी काम शुरू होगा।
यह सुरंग दिल्ली और मुंबई के बीच यात्रा करने के समय को कम करने में मदद करेगी और दोनों महानगरों के बीच तेज, सुरक्षित और निर्बाध परिवहन सुनिश्चित करेगी। साथ ही, यह सुरंग क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान करेगी और इससे जुड़े क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से न केवल भारत के दो सबसे बड़े शहरों के बीच परिवहन में सुधार होगा, बल्कि इससे जुड़े छोटे शहरों और कस्बों में भी व्यापार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 1,350 किलोमीटर तक फैला हुआ है और इसका उद्देश्य देश के दो सबसे बड़े शहरों, मुंबई और नई दिल्ली, के बीच संपर्क बढ़ाना है। यह एक्सप्रेसवे राजस्थान से होकर गुजरता है, जहां 373 किलोमीटर के हिस्से में से 327 किलोमीटर पहले ही चालू हो चुके हैं। हालांकि, कुछ खंडों को यातायात के लिए खोलने से पहले इंटरचेंज के निर्माण का काम पूरा करना जरूरी है।
इस सुरंग के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है। सुरंग के अंदर सुरक्षा और यात्री सुविधा के लिए कई विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें आपातकालीन निकासी, वेंटिलेशन प्रणाली, और ऑटोमेटेड सुरक्षा प्रणाली जैसी सुविधाएं शामिल हैं, जो सुरंग में यात्रा करने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी। इसके अलावा, इस सुरंग को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, ताकि यह क्षेत्र की जैविक विविधता और पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डाले।
पिछला खबर
अगला खबर