देश में घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने, आयात निर्भरता कम करने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कोयला मंत्रालय ने नई दिल्ली में वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी का 12वां चरण शुरू किया है, जिसमें सात राज्यों में 25 कोयला खदानों की पेशकश की गई है। जून 2020 में वाणिज्यिक कोयला खनन क्षेत्र के खुलने के बाद से यह 12वां दौर है, और अब तक कुल 125 खदानों की नीलामी हो चुकी है। प्रस्तावित खदानों में से 13 कोयला खदानों का पूरी तरह से जबकि 12 खदानों का आंशिक रूप से पता लगाया जा चुका है। आइए, इस खबर को विस्तार से जानें।
इस नीलामी का उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करना है, जिससे ऊर्जा और औद्योगिक विकास में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने 12वीं नीलामी के शुभारंभ के मौके पर कहा, "अब तक 11 दौरों में 125 कोयला खदानों की नीलामी की जा चुकी है, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि हुई है। इन खदानों से 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और चार लाख नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।" उन्होंने यह भी कहा कि इस नीलामी के माध्यम से कोयला आयात में कमी आएगी, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी और भारत आत्मनिर्भर बनेगा।
इस दौर में सबसे अधिक खदानें छत्तीसगढ़ राज्य में हैं, जहां सात खदानें पेश की गई हैं। इसके अलावा झारखंड में पांच, मध्य प्रदेश में चार, महाराष्ट्र में तीन और ओडिशा, राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल में दो-दो खदानें उपलब्ध हैं। पेश की गई 25 खदानों में से 12 आंशिक रूप से और 13 पूरी तरह से खोजी गई हैं। इसके अतिरिक्त, तीन खदानें पिछली नीलामी से वापस लाई गई हैं, जिनके लिए पहले खरीदार नहीं मिले थे।
कोयला मंत्रालय के सचिव विक्रम देवदत्त ने बताया कि मंत्रालय भारत के बिजली क्षेत्र के लिए एक प्रमुख ईंधन के रूप में कोयला की खोज में तेजी लाने के लिए नए ढांचे पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि, "अक्षय ऊर्जा के बावजूद, कोयले से बिजली उत्पादन भारत के कुल बिजली उत्पादन का 70% से अधिक है।"
अब तक हुई नीलामी से 125 खदानों की अधिकतम निर्धारित क्षमता 273.06 मिलियन टन तक पहुंची है, और इन खदानों से सालाना 39,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना जताई जा रही है। हाल ही में, दिसंबर 2024 में हुई 11वीं नीलामी में 12 खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई, जिनका कुल भूवैज्ञानिक भंडार 5,759.23 मिलियन टन था। इन खदानों की अधिकतम क्षमता प्रति वर्ष 15.46 मिलियन टन है।
सरकारी बयान के अनुसार, इस नीलामी में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी गई, जिसमें औसत राजस्व हिस्सेदारी 36.27% रही, जो भारत के कोयला क्षेत्र में उद्योगों की रुचि को दर्शाता है। मंत्रालय के अनुसार, इन वाणिज्यिक खदानों से पिछले पांच वर्षों में उत्पादन में 24.65% की सीएजीआर वृद्धि हुई है, जो 63.14 मिलियन टन से बढ़कर 190 मिलियन टन हो गया है।
इस नीलामी से निवेश को बढ़ावा मिलेगा, आयात में कमी आएगी, और भारत के कोयला उद्योग की आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी।
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